Skip to main content

टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के लिए चलेगा विशेष अभियान, जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित की अध्यक्षता में आयोजित हुई कार्यशाला

RNE Network

टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत क्षय अनुभाग की ओर से सम्पूर्ण राज्य में टीबी मुक्त ग्राम पंचायत की दिशा में विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है।

प्रदेश में 24 मार्च 2025 तक संचालित होने वाले इस अभियान का उद्देश्य टीबी (क्षय रोग) उन्मूलन को गति देने के साथ ही समुदाय में टीबी की समय पर पहचान कर इसके उपचार एवं रोकथाम को सुदृढ़ – करना है। जिले में इस अभियान के सफल संचालन के लिए शनिवार को जिला स्तरीय स्टेकहोल्डर्स कार्यशाला का आयोजन जिला गया.

जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई इस एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता नागौर के जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने की. कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला कलेक्टर पुरोहित ने कहा कि यह अभियान भारत सरकार और राजस्थान सरकार की प्राथमिकता का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इस अभियान की सफलता के लिए जनसहभागिता अत्यंत आवश्यक है। हमें इस मुहिम में जनता को सक्रिय रूप से जोड़ना होगा, ताकि जागरूकता बढ़े और लोग समय पर टीबी की जांच व उपचार के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर तक इस अभियान को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी टीबी उन्मूलन की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।


अतिरिक्त जिला कलेक्टर चंपालाल जीनगर ने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए जिला एवं ब्लॉक स्तर पर विभिन्न जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इसमें संभावित टीबी रोगियों की पहचान, उपचार दर बढ़ाने की पहल, तंबाकू नियंत्रण, स्कूल प्रतियोगिताएं, मीडिया अभियान और सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं। इस अभियान की सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग विभिन्न स्तरों पर निरंतर निगरानी करेगा और सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा, जिससे राजस्थान को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।


कार्यशाला को संबोधित करते हुए नागौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर जुगल किशोर सैनी ने कहा कि राजस्थान व नागौर को टीबी मुक्त बनाना है। इस अभियान की सफलता के लिए अधिक से अधिक निक्षय मित्र बनाए जाएंगे. प्रत्येक क्षय रोगी को पोषण किट मुहैया करवाने के लिए निक्षय मित्र बनाए जाएंगे. डॉ. सैनी ने कहा कि अभियान के तहत संदिग्ध टीबी मामलों की पहचान की जाएगी, जिससे समय पर रोगियों का इलाज शुरू किया जा सके। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि उपचार की सफलता दर 85 प्रतिशत से अधिक रखी जाए,जिला टीबी कार्यक्रम समिति के सचिव डॉ. श्रवण राव ने कार्यशाला के दौरान स्लाइड प्रेजेंटेशन पर अभियान के तहत प्रमुख इंडिकेटर्स संदिग्ध टीबी मामलों की जांच (प्रति 1000 जनसंख्या पर 30 से अधिक), टीबी नोटिफिकेशन दर (प्रति 1000 जनसंख्या पर एक या एक से कम), उपचार सफलता दर (85 प्रतिशत लक्ष्य), डग ससेप्टिविलिटी टेस्ट (60 प्रतिशत), निक्षय पोषण योजना का लाभ (100 प्रतिशत लक्ष्य) और निक्षय मित्र द्वारा पोषण किट वितरण (100 प्रतिशत लक्ष्य) निर्धारित किए गए हैं। इसमें जिला, ब्लॉक, ग्राम पंचायत स्तर पर विभिन्न हितधारको की भूमिका, आईईसी गतिविधियों, संभावित टीबी रोगियों की पहचान, उपचार दर, निक्षय पोषण योजना, निक्षय मित्र पहल, सामुदायिक जागरुकता और समापन समारोह जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों शामिल की गई है। इसका कार्यशाला में महिला में बाल विकास विभाग के उपनिदेशक दुर्गा सिंह उदावत, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी रामलाल खराड़ी, नागौर के उपखंड अधिकारी गोविंद सिंह भींचर, जिला उद्योग अधिकारी बजरंग सांगवा सहित जिले के समस्त उपखंड अधिकारी, महिला में बाल विकास विभाग के उपनिदेशक तहसीलदार सहित संबंधित अधिकारियों को अभियान सफल बनाने के संबंध में निर्देशित किया है।